शुभ क्या और अशुभ क्या || आचार्य प्रशांत, उत्तर गीता पर (2019)
  • 4 years ago
वीडियो जानकारी:
हार्दिक उल्लास शिविर, 21.12.19, गोआ, भारत

प्रसंग:
विविधे: कर्मभिस्तात पुण्ययोगैश्च केवले:।
गच्छन्तीह गतिं मर्त्या देवलोके च सांस्थितिम ॥२१॥
भावार्थ: मनुष्य नाना प्रकार के शुभ कर्मों का अनुष्ठान करके केवल पुण्य के संयोग से इस लोक में ऊत्तम फल और देवलोक स्थान प्राप्त करते हैं।
~उत्तर गीता (अध्याय २, श्लोक २१)

~ शुभ और अशुभ कर्म क्या है?
~ उत्तम फ़ल और अधम फ़ल का अर्थ क्या है?
~ शुभ और अशुभ में क्या अंतर है?
~ क्या सिर्फ़ माँस में ही प्रोटीन होता है?

संगीत: मिलिंद दाते
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