(गीता-37) क्या गीता जातिवाद का समर्थन करती है? || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2024)
  • last month
#acharyaprashant

वीडियो जानकारी: 29.02.24, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
चातुर्वण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः।
तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम्।।

मया (मेरे द्वारा) गुण-कर्म-विभागशः (गुणों और कर्मों के विभागानुसार) चातुर्वण्यं (चार वर्णों के धर्म) सृष्टं (सृष्ट हुए हैं) तस्य (उसका) कर्तारम् अपि (कर्ता होने पर भी) माम् (मुझे) अव्ययम् (अविकारी) अकर्तारम् (अकर्ता) विद्धि (जानना) ।॥१३॥

मेरे द्वारा गुणों-कर्मों के विभागानुसार चार वर्णों को बनाया गया है, और उनका कर्ता होने पर भी तुम जानना कि मैं तो अकर्ता ही हूँ। आचार्य जी द्वारा दिया गया श्लोक का काव्यात्मक अर्थ: गुण से

चेतना का द्वंद पुराना
देखें कर्म किधर को झुकता है
जीवन तुम्हारा हाथ तुम्हारे
कोई और नहीं तय करता है
जीवन के दो छोर:
*पहला छोर: गुणों का छोर। वो हमारा तथ्य है।
*दूसरा छोर: मुक्ति की संभावना। वो चेतना का चुनाव है।
- तथ्यों से लड़ा नहीं जाता। प्रकृति को बदला नहीं जा सकता।
- व्यक्ति का पुनर्जन्म नही होता, अहम वृत्ति है जो बार बार जन्म लेती है। व्यक्तिगत पुनर्जन्म नहीं होता।
- मैं जिंदगी में कहां खड़ा हूं, यह मैं निर्धारित करता हूं।
- जन्म प्रकृति निश्चित करती है, और वर्ण में निर्धारित करता हूं, वर्ण जन्म से नहीं होता।
- समाज की जाती से गीता का कोई लेना देना नहीं है।
- संस्कृति के खिलाफ, गीता एक गर्जना है।
- जातिवादी हम इसलिए हैं, क्योंकि हम कृष्ण का सुनते नहीं।
- जात शरीर की होती है, वर्ण चेतना का होता है
- ध्यान में हो, तो ब्राह्मण हो।
- याद रखो कि तुम भीतर से किस तल पर हो।
- जो शरीर बना रहेगा, वह गुलाम ही बना रहेगा ।
- गुलामी एक तथ्य होती है, जिसको तथ्यों के बारे में पता नहीं होगा, वह मुक्त नहीं हो पाएगा ।
- श्मशान में जीवन की सच्चाई, राख होती सामने दिखती है।
~ क्या गीता में जातिवाद की बात कही गई है?
~ क्या श्रीकृष्ण ने जातिवाद का समर्थन किया था?
~ भगवद् गीता में वर्ण व्यवस्था पर जो बात कही है, उसका अर्थ क्या है?
~ गीता के अनुसार जाति क्या है? ब्राह्मण कौन?
~ श्रीकृष्ण ने जाति के बारे में क्या कहा है?
~ क्या गीता में गुण और कर्म के आधार पर जाति का विभाजन किया गया है?


संगीत: मिलिंद दाते
~~~~~
Recommended