विधानसभा चुनाव 2022: साहिबाबाद विधानसभा का सियासी हाल II सपा के पास गलती सुधारने और जीत पक्की करने का मौका

  • 3 years ago

साहिबाबाद विधानसभा का सियासी हाल
किसके खाते में जाएगी ये विधानसभा सीट ?
कौन बनेगा साहिबाबाद में सियासी बाजीगर ?
आगामी चुनावों को लेकर कयासों का दौर जारी
देखिए क्या कहते हैं इस विधानसभा के समीकरण ?
विधानसभा के पिछले इतिहास से क्या मिलते हैं संकेत ?
साहिबाबाद सीट का पूरा विश्लेषण देखिए आज !

गाजियाबाद जिले की साहिबाबाद विधानसभा सीट का इतिहास वैसे तो ज्यादा पुराना नहीं है लेकिन सियासी धमाचौकड़ी की बात की जाए तो अहम सीटों में से इसे भी एक माना जाता है…वैसे तो इस बार का सियासी माहौल काफी रोचक बना हुआ है लेकिन सियासी पकड़ किसी एक दल की नहीं दिखाई देती…सपा हो या कांग्रेस, बीएसपी हो या बीजेपी हर दल जोर आजमाइश में है लेकिन जीत किसे मिलेगी आज ये जनाने की कोशिश करेंगे लेकिन पहले जानते हैं साहिबाबाद का सियासी इतिहास और पुराने चुनावों में हार जीत का खेल…

साहिबाबाद विधानसभा सीट पर 2012 में पहली बार चुनाव हुआ
2012 में जब पूरे प्रदेश में सपा की लहर थी तब यहां कमाल हुआ
2012 में BSP उम्मीदवार अमरपाल जीत कर विधायक बने
2012 में इस सीट पर सपा चौथे नंबर पर थी और बीजेपी दूसरे नंबर पर
तीसरे नंबर पर यहां कांग्रेस पार्टी ने कड़ी टक्कर दी थी
2017 में मुख्य मुकाबला बीजेपी Vs कांग्रेस देखने को मिला
कांग्रेस ने 2012 में बीएसपी के टिकट पर जीते अमरपाल को टिकट दिया था
2017 में भी अमरपाल ने कांग्रेस की तरफ से बीजेपी को कड़ी टक्कर दी
बीजेपी उम्मीदवार सुनील कुमार शर्मा ने 2017 में जीत दर्ज की
समाजवादी पार्टी और बीएसपी को फिर से यहां हारना पड़ा

2012 में सपा की लहर होने के बाद भी साहिबाबाद में हार का मुंह देखना पड़ा था कारण था वोटों का ध्रुवीकरण…2017 में पार्टी की कलह की वजह से सपा को हार का मुंह देखना पड़ा…2022 में सपा के पास मौका है कि वो पिछली हारों का बदला जीत के साथ ले और आवाम के मन में अपने लिए कई मुद्दों को हथियार बनाकर अपनी जगह बनाए…आइए जानते हैं वो मुद्दे जो सपा के लिए राह आसान कर सकते हैं…

बीजेपी के खिलाफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हवा बह रही है
लेकिन बीजेपी कमजोर है ये कहना बिल्कुल गलत होगा
मिशन रिपीट के साथ बीजेपी चुनावी तैयारी में जुटी है
2012 में जीतने वाली बीएसपी के लिए हालात बदल गए हैं
2017 में बीएसपी के ही अमरपाल ने कांग्रेस का साथ कर लिया
मायावती की ट्वीटर वाली राजनीति का अब असर नहीं दिखता
BSP के वोटबैंक को अपने खाते में लाने के लिए सपा को काम करना होगा
कांग्रेस साहिबाबाद में 2017 में उपविजेता जरूर रही थी
लेकिन अब साहिबाबाद क्षेत्र में स्थितियां भिन्न दिखाई दे रही हैं
किसानों आंदोलन का मुद्दा यहां अभी तक गर्माहट में है
पंचायत चुनावों में भी इसका असर साफ महसूस किया जा रहा है
ऐसे में RLD काफी गहमा गहमी में है और सपा भी साथ में है

फिलहाल देखा जाए तो सपा नेता पंचायत चुनावों के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं उनका मानना है कि पंचायत चुनाव के नतीजों से हमें सियासी बयार की स्थितियां भांपने का मौका मिलेगा…और नतीजों के बाद हमारी रणनीति गर्म लोहे पर वार करने वाली होगी…सपा नेताओं का मानना है कि पिछली गलतियों से हमने सबक लिया है और जीत हमारी होगी लेकिन बीजेपी सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए बेकरार है और लगातार काम कर रही है वहीं कांग्रेस उपविजेता वाला तमगा छोड़कर विजेता बनने के लिए हाथ पांव मार रही है…देखना ये हैं कि यहां सपा का सबक काम आता है या बीजेपी की रणनीति सफल होती है…अभी तो इंतजार पंचायत चुनाव के नतीजों का है…ब्यूरो रिपोर्ट
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