वृत्ति पर चलो नहीं, तो वृत्ति मिट ही जाती है || आचार्य प्रशांत, अपरोक्षानुभूति पर (2018)

  • 4 years ago
वीडियो जानकारी:

२९ अप्रैल, २०१८
अद्वैत बोधस्थल,
ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:

कार्ये कारणताऽऽयाता कारणे न हि कार्यता।
कारणत्वं स्वतो गच्छेत्कार्याभावे विचारतः॥ १३५॥

भावार्थ: कार्य में कारण अनुगत होता है, कारण में कार्य अनुगत नहीं होता। अतः विचार करने से कार्य का अभाव होने के कारण कारण की कारणता भी नहीं रहती।

~ अपरोक्षानुभूति

अपरोक्षानुभूति को कैसे समझें?
वृत्ति को मिटाने के क्या उपाय हैं?
वृत्ति को कैसे मिटाएँ?
क्या वृत्ति पर न चलने से वृत्ति मिट जाती है?
वृत्तियों के प्रवाह से कैसे बचें?
जीव की मूल वृत्ति कौन सी होती है?

संगीत: मिलिंद दाते

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