KHANDWA: देवी अहिल्या की नगरी में दो बहुएं बताएंगी परिवार की ताकत, आखिर किसे चुनेगी जनता
  • 2 years ago
khandwa. #MoodOfMadhyaPradesh #KaunBanegaMahapour ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग के कारण प्रसिद्ध देवी अहिल्या की नगरी खंडवा के नगर निगम (municipal corporation) के लिए इस बार राजनीति के दो पुराने परिवारों (Families) की बहुएं मैदान में हैं। इनके बीच बहू-बेटी के साथ स्थानीय और बाहरी का मुददा भी गूंजने लगा है। हालांकि दोनों के लिए पति ही टिकट दिलाने के बाद अब चुनाव मैदान में भी सक्रिय हैं। दोनों के पास बताने के लिए पार्षद रहे पति और विधायक रहे ससुर के काम ही हैं। साथ ही जीत की उम्मीद बंधाते हैं परंपरागत वोट। दोनों प्रत्या​शियों की ताकत और चुनौतियां क्या हैं, जातीय और क्षेत्र के समीकरण के साथ हम यहां बता रहे हैं वे सारी बातें जो आप जानना चाहते हैं।

अमृता यादव-बीजेपी

ताकतः राजनीतिक रूप से मजबूत परिवार। ससुर स्व. हुकुमचंद यादव चार बार विधायक रहे। पति अमर यादव भी दो बार पार्षद, एक बार नगर निगम अध्यक्ष रहे। खुद भी सक्रिय कार्यकर्ता, पहचान का संकट नहीं। यादव समाज का बड़ा वोट बैंक। भाजपा के परंपरागत वोटों का सहारा।
चुनौतीः एक ही परिवार में कई टिकट मिले। परिवारवाद मुद्दा। लंबे समय से परिवार की राजनीति छोटे चुनाव तक सीमित। अब बड़ा चुनाव लड़ रहे हैं।
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आशा मिश्रा-कांग्रेस
ताकतः परिवार भी राजनीति से संबद्ध। ससुर वीरेंद्र मिश्रा (बल्ली) विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। पति अमित मिश्रा पार्षद रह चुके हैं, खुद की टीम अच्छी। स्थानीय (खंडवा की बेटी) प्रत्याशी होने का लाभ। ब्राह्मण और अल्पसंख्यक वोटों का सहारा ।

चुनौतीः खुद पहले कभी चुनाव नहीं लड़ीं। शुद्ध गृहणी हैं। कार्यकर्ताओं के बीच पहचान का संकट। सारा दारोमदार पति पर निर्भर। भाजपा की तुलना में कांग्रेस का संगठन कमजोर। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की लगातार हार।
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