एक और वोट बैंक सपा के साथ II इतने फीसदी वोट वाला ये समुदाय अखिलेश को अपना नेता मानने के लिए तैयार !

  • 3 years ago
बीजेपी में अनदेखी से नाराज एक बड़ा वोटबैंक !
अब अखिलेश यादव पर आ टिकी हैं सबकी निगाहें !
अब तक अखिलेश यादव भी इससे रहे अंजान !
सोशल इंजीनियरिंग से अखिलेश ले सकते हैं बढ़त !
कायस्थ वोटर्स का अब बीजेपी से हुआ मोहभंग !
अपना प्रतिनिधित्व और वोट की अहमियत मांग रहे कायस्थ !
बीजेपी में नहीं मिल रहा उचित सम्मान तो अब सपा है समाधान !
देखिए कैसे कायस्थ सपा के लिए बन सकते हैं संजीवनी ?
कैसे कायस्थ वोटबैंक के सहारे सपा हासिल कर सकती है सत्ता ?
कैसे कायस्थ सपा के लिए बन सकते हैं तुरुप का इक्का ?

वैसे तो बीजेपी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनावों को मद्देनजर रखते हुए तमाम बदलाव कर रही है साथ ही कैबिनेट विस्तार में भी इसका खास ध्यान रखा गया लेकिन तमाम वर्गों को साधने के चक्कर में बीजेपी ने अपने ही कोर वोटर्स कायस्थों के प्रतिनिधित्व को जहां कम कर दिया वहीं अटल बिहारी वाजपेई जी की सरकार के बाद से बीजेपी में कायस्थों का कद घटता जा रहा है…ऐसे में अब कायस्थ वोटबैंक का मोहभंग बीजेपी से होता जा रहा है और बीजेपी से छिटकता ये बड़ा वोटबैंक अब सपा के खाते में आ सकता है लेकिन अखिलेश यादव को इसके लिए सोशल इंजीनयरिंग को मजबूत करना होगा…क्योंकि इस बड़े वोटबैंक पर अब तक अखिलेश यादव ने भी कोई खास ध्यान नहीं दिया है लेकिन अगर ओवैसी के आने से मुस्लिम वोटबैंक सपा के हाथ से खिसकता है तो कायस्थों के सहारे सपा इसकी भरपाई कर सकती है और इसके लिए अखिलेश यादव को काम करना होगा…साथ ही मुस्लिम, यादव, कायस्थों का साथ सपा को मिल जाए तो सपा बहुत कुछ कमाल करने में सक्षम हो जाएगी…कायस्थ वैसे तो बीजेपी का कोर वोटर्स रहा है लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि बीजेपी से मोहभंग हुआ तो इसको जानने के लिए थोड़ा पीछे लौटते हैं…दरअसल
यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है…हाल ही मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में यूपी का विशेष ख्याल भी रखा गया है…खासकर ओबीसी वोटरों को साधने के लिए कई नए चेहरों को बीजेपी ने आजमाया है…यूपी-बिहार में जाति की पॉलिटिक्स करना कोई बड़ी बात नहीं है…अगड़ी-पिछड़ी सभी जातियां यहां पर जाति पॉलिटिक्स करती है…जिसका हिस्सा कायस्थ भी रहे हैं…तकरीबन एक साल पहले लखनऊ में भी कायस्थों के प्रतिनिधत्व को लेकर जगह-जगह पोस्टर लगाए गए थे…जिसमें लिखा गया था 'कायस्थों अब तो जाग जाओ, या फिर हमेशा के लिए सो जाओ' एक तरह कायस्थ जाति यूपी में अपना खोया स्थान मांग रही है तो दूसरी तरफ केंद्र की राजनीति से कायस्थों का सफाया हो रहा है…कायस्थ लंबे समय से बीजेपी के परंपरागत वोटर माने जाते रहे हैं…बीजेपी समय-समय पर कायस्थ समुदाय को संगठन में भी जगह देती रही है…पार्टी की मौजूदा सोशल इंजीनियरिंग में कायस्थों की भागीदारी पर विपक्षी दलों को मौक मिल गया है कि वो इस बहाने बीजेपी पर हमला बोले…यूपी में तकरीबन 3 से 4 फीसदी कायस्थ वोटर हैं, जो बीजेपी के साथ मजबूती के साथ जुड़े हुए हैं…गोरखपुर, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर और इलाहाबाद समेत तमाम यूपी के बड़ों शहरों में कायस्थ समुदाय का अच्छा खासा दबदबा है…कायस्थों की ये संख्या यूपी में किसी भी राजनीतिक दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखता है…हाल ही में मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार से पता चलता है कि बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग में कायस्थ पॉलिटिक्स फिट नहीं बैठ रही है…राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मोदी कैबिनेट से एक बड़े कायस्थ नेता की विदाई से पढ़े-लिखे कायस्थों में रोष है…रविशंकर प्रसाद से पहले शत्रुघ्न सिन्हा, आर के सिन्हा, यशवंत सिन्हा की भी कुछ

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