भेदभाव रहित संगठित समाज की सिर उठाकर जिंदा रह सकता है, इसलिए श्रीकृष्ण ग्वालों के साथ रहे

  • 3 years ago
शाजापुर। श्रीकृष्ण भागवत के चरित्र की प्रत्येक कथा में क्रांति है. ये सामाजिक चेतना जगाने के लिए है. सामाजिक कुरीति, बुराईयों को दूर करने के समाज को संगठित करने की शिक्षा है. भेदभाव मिटाकर आपसी सदभाव जागृत कर मानव धर्म क्या है, यही भागवत में चरितार्थ किया है. यह बात विजय नगर स्थित श्री विजय हनुमान मंदिर में महिला समिति द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भावगत कथा के छठे दिन भगवताचार्य पं. विवेक कृष्ण शास्त्री उज्जैन ने कही. पं. शास्त्री ने कहा कि श्री कृष्ण ने पूतना का वध कर अज्ञानता का नाश किया है. माखन चोरी लीला स्वार्थ से नहीं परामर्थ के लिए की गई. क्योंकि वस्तु पर जिसका अधिकार है, उसे ही मिले, छीनने वालों को और दुष्टों को नहीं. माखन चोरी का भी अभिप्राय यही है. भेदभाव रहित संगठित समाज की सिर उठाकर जिंदा रह सकता है, इसलिए श्रीकृष्ण ग्वालों के साथ खेले, खाए और अत्याचार के विरुद्ध समाज को खड़ा किया. पं. शास्त्री ने कहा कि अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है. इसलिए गोवर्धन धारण लीला में प्रभु ने इंद्र का अहंकार दूर किया. यही भागवत की शिक्षा है।

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