Barsana Lathmar Holi : रस से भरी गालियां, प्रेम से पगी लाठियां खाकर भी बोलते हैं राधे-राधे
  • 3 years ago
बरसाने और नंद गांव की होली गजब है। यहां रसभरी गालियां सुनने और प्रेम में पगी लाठियां खाने के लिए युवक और बूढ़े साल भर इंतजार करते हैं। यह परंपरा सैकड़ों साल से चली आ रही है। न सिर्फ भारत बल्कि विदेश में बरसाने की लठ्ठमार होली प्रसिद्ध है। हर साल यहां की होली का आनंद उठाने बड़ी संख्या में लोग बरसाने पहुंचते हैं।
#Lathmarholi #Barsana #Mathura

होली पर सब जग होरी, बृज होरा की कहावत बृज में चरितार्थ होती है। मथुरा के गांव बरसाने में कृष्ण काल से ही लठ्ठमार होली खेली जा रही है। मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण बरसाना जाते थे तब वह राधा और उनकी सहेलियों के साथ हंसी ठिठोली किया करते थे। भगवान श्री कृष्ण की हंसी ठिठोली का जवाब राधा की सखियां डंडों से दिया करती थीं। तब से इसी परंपरा का निर्वहन बरसाना और नंद गांव के लोग करते आ रहे हैं।

बरसाने के लोग होली का निमंत्रण लेकर नंद गांव पहुंचते हैं। वे नंद गांव के हुरियारों को श्रीधाम बरसाना आने का निमंत्रण देते हैं। बरसाने के इस निमंत्रण पर नंद गांव के हुरियारे फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी पर होली खेलने के लिए बरसाने जाते हैं। जब वह गांव पहुंचते हैं तब लठ्ठमार होली डंडों और ढालों से खेली जाती है। बरसाने की महिलाएं नंद गांव के हुरियारों पर प्रेम पगी लाठियों से प्रहार करती हैं और नंद गांव के हुरियारे लठ के वार से बचने के लिए ढाल लगाकर बचने का प्रयास करते हैं।
Recommended