ठाकुर जी संग ब्याही माता रूखमणी, भक्तों ने की फूलों की वर्षा

  • 3 years ago
शाजापुर। घराती भी बारात का इंतजार कर रहे थे तो बाराती भी दुल्हन बनी माता रूखमणी की एक झलक पाने को द्वार पर आकर आतुर थे। जैसे ही माता रूखमणी बारातियों के सामने आई वे उन्हें एकटक देखते ही रहे। जैसे ही प्रभु श्री कृष्ण ने माता रूखमणी के गले में वरमाला डाली सभी ने दोनों पर पुष्पवर्षा कर वर-वधुओं को अपना आषीष दिया। यह नजारा था हाऊसिंग बोर्ड कालोनी में चल रही श्रीमद भागवत कथा का जहां शनिवार को कथा के दौरान श्री कृष्ण और माता रूखमाणी के विवाह का प्रसंग का मंचन किया गया। इसके पूर्व कथा का वाचन करते हुए पं. अनिल शर्मा ने विवाह प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण ही भगवान श्री विष्णु हैं एवं माता रुक्मिणी ही माता लक्ष्मी हैं। उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण रुक्मिणी का विवाह किसी साधारण वर कन्या का विवाह नहीं हैं। यह जीव और्र ईश्वर का विवाह है।   रुक्मिणी का भाई रुक्मि, रुक्मिणी का  विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहता था। शिशुपाल यानि, शिशु या बच्चा, पाल यानि पालन करना। जो मनुष्य अपने घर परिवार के पालन पोषण में हीं अपनी सारी अक्ल और कमाई लगाता है।

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