निःस्वार्थ से की गई सेवा, ईष्वरीय कार्य: पं. शर्मा- कथा के पांचवे दिन कान्हा ने फोड़ी मटकी, माखन लूट के लिए मची होड़
  • 3 years ago
शाजापुर: कोई दुखी है, किसी को कोई आवष्यकता है और यदि हम निःस्वार्थ किसी की सेवा करते हैं या किसी की आवष्यकताओं की पूर्ति करते हैं तो वह कार्य भी ईष्वरीय सेवा से कम नहीं होता। इसलिए दीन-दुखियों की सेवा करते रहना भी ईष्वर को प्राप्त करने का मार्ग है। उक्त आर्षीवचन पं. अनिल शर्मा ने शुक्रवार को कथा का वाचन करते हुए व्यक्त किए। पं. शर्मा ने कहा कि हम बिना कर्म करे फल की प्राप्ति चाहेंगे तो वह कभी नहीं मिलेगा, कर्म तो हमें करना ही होगा। गोवर्धन पर्वत की कथा सुनाते हुए कहा कि गोवर्धन का अर्थ है गो संवर्धन। भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत मात्र इसीलिए उठाया था कि पृथ्वी पर फैली बुराइयों का अंत केवल प्रकृति एवं गो संवर्धन से ही संभव है। इंद्र के कुपित होने पर श्रीकृष्ण ने गोवर्धन उठा लिया था। इसमें ब्रजवासियों ने भी अपना-अपना सहयोग दिया।
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