यहाँ दिखती है " नर सेवा नारायण सेवा " की असली झलक , निराश्रित वृद्धों के लिए है यहाँ स्वर्ग
  • 3 years ago
माता - पिता को धरती का भगवान् कहा जाता है लेकिन समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जो अपने इन भगवान् को बेसहारा भटकने के लिए भंवर में छोड़ देते हैं | लेकिन समाज का एक तबका ऐसा भी है जो इन्हे सहारा देता है | कुछ नजारा बाराबंकी में भी देखने को मिलता हैं जहाँ बेसहारा वृद्धों के लिए एक ऐसा आश्रम समाज के द्वारा चलाया जाता है जो परिवार से पीड़ित या निराश्रित लोगों की सेवा करता है | आज ऐसे ही एक आश्रम में भाजपा के नेता अपने जन्म दिवस के मौके पर वृद्धों को कम्बल बांटने पहुंचे |

बाराबंकी जनपद के मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर सफेदाबाद इलाके के भहरा गाँव में स्थित यह आश्रम उन वृद्धों के लिए है जो परिवार से सामज से ठुकराए हुए हैं | इस आश्रम का सञ्चालन फेयरडील ग्रामोद्योग सेवा समिति के बैनर तले कमलेश रावत की देखरेख में किया जाता हैं | इसमें कुछ ऐसे वृद्ध है जो परिवार से पीड़ित है , कुछ ऐसे लोग हैं जिनके परिवार नहीं है और निराश्रित हैं और वह अपनी सेवा खुद नहीं कर सकते ऐसे लोगों की यह संस्था खुद पूरे निःस्वार्थ भाव से सेवा करती है |

इस आश्रम में रह रही वृद्ध महिला शांति ने बताया कि जब उनका बीटा सात साल का था तब उनके पति का देहांत हो गया मगर उन्होंने लड़के के लिए दूसरी शादी नहीं की लेकिन जब लड़का बड़ा हुआ तो वबह बहु के कहने पर उन्हें घर से निकाल दिया | अब वह यहाँ रह रही हैं और यहाँ के लोग उनकी खूब सेवा करते हैं | लड़के और बहु कभी यहाँ उनसे मिलने भी नहीं आते हैं | जब अपनों ने धोखा दिया तो गैरों ने यहाँ अपना लिया ऐसा लगता है कि यही लोग अपने हैं |

आश्रम के संचालक कमलेश रावत ने बताया कि उनके इस आश्रम का नाम मातृ - पितृ सेवा सदन वृद्धा आश्रम है | यहाँ हम बेसहारा वृद्धों की सेवा करते हैं | वृद्धों की दवाई , भोजन , सफाई की भी व्यस्था की जिम्मेदारी वह और उनकी संस्था उठाती है | वृद्धों की सेवा करके उन्हें बड़ा पुण्य मिलता है |

अपने जन्मदिवस पर वृद्धों को कम्बल बांटने आश्रम पहुंचे भाजपा नेता राम बाबू दिवेदी ने बताय कि उनका इस माह यह आठवाँ कार्यक्रम है | भिन्न -भिन्न जगहों पर वह समाज के लिए कार्यक्रम कर चुके है | यहाँ की व्यवस्था देखकर उनका मन बड़ा ही प्रफुल्लित हुआ है यहाँ वृद्धों की भोजन व्यवस्था , साफ़ - सफाई व्यवस्था आदि देखकर मन को बड़ा संतोष हुआ है कि यहाँ अपनों से ठुकराए लोगों का अपनों की तरह ही सेवा हो रही है |
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