मिड डे मील रसोइयों के लिए हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, न्यूनतन वेतन से कम नहीं दे सकती सरकार
  • 3 years ago
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी व अर्ध सरकारी प्राइमरी स्कूलों में मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों को लेकर महत्वपूर्ण फैसला लिया है। कोर्ट ने प्रदेश के सभी रसोइयों को न्यूनतम वेतन भुगतान का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि मिड डे मील रसोइयों को एक हजार रुपये देना बंधुआ मजदूरी है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 23 में प्रतिबंधित किया गया है। कोर्ट ने ये भी कहा कि सरकार का संवैधानिक दायित्व है कि वे किसी के मूल अधिकार का हनन न होने पाए। सरकार न्यूनतम वेतन से कम वेतन नहीं दे सकती। कोर्ट के इस फैसले से रसोइयों में वेतन बढ़ोत्तरी की उम्मीद जगी है।
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प्रदेश के सभी जिलों के डीएम करें आदेश का पालन

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि प्रत्येक नागरिक का अधिकार है कि वह मूल अधिकारों के हनन पर कोर्ट आ सकता है। वहीं, सरकार की भी संवैधानिक जिम्मेदारी है कि किसी के मूल अधिकार का हनन नहीं हो। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को चार माह के भीतर न्यूनतम वेतन तय कर 2005 से अब तक सभी रसोइयों को वेतन अंतर के बकाये का निर्धारण करने का आदेश दिया है।
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रसोइया नियुक्ति में वरीयता नियम लागू

हाईकोर्ट में याचिका बेसिक प्राइमरी स्कूल पिनसार बस्ती में मिड डे मील रसोइया चंद्रावती देवी की ओर से दाखिल की गई थी। याची का कहना है कि 1 अगस्त, 2019 को उसे हटा दिया गया था। उसे यह कह कर हटाया गया कि उसका कोई बच्चा प्राइमरी स्कूल में पढ़ने लायक नहीं है। उसे हटा कर दूसरे को रखा गया है। उसकी वेतन भी 1500 रुपये कर दी गई है। जबकि याची का कहना था कि उसने एक हजार रूपये मासिक वेतन पर पिछले 14 साल सेवा की है। याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने फैसला किया। नये शासनादेश से स्कूल में जिसके बच्चे पढ़ रहे हो उसे रसोइया नियुक्ति में वरीयता देने का नियम लागू किया गया है।

आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति पावरफुल के विरुद्ध नहीं लड़ सकता कानूनी लड़ाई

कोर्ट ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति पावरफुल नियोजक के विरूद्ध कानूनी लड़ाई नहीं लड़ सकता और न ही वह बारगेनिंग की स्थिति में होता है। कोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 23 बंधुआ मजदूरी को प्रतिबंधित करता है। एक हजार वेतन बंधुआ मजदूरी ही है। याची 14, साल से शोषण सहने को मजबूर है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने अपनी स्थिति का दुरूपयोग किया है। न्यूनतम वेतन से कम वेतन देना मूल अधिकार का हनन है। कोर्ट ने आदेश का पालन करने के लिए प्रति मुख्य सचिव व सभी जिलाधिकारियों को भेजे जाने का निर्देश दिया है।
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कितनी है न्यूनतम मजदूरी

अर्ध कुशल मजदूरों के लिए 9634 प्रति महीना और कुशल मजदूरों के लिए 10791 रुपये तय हैं। जबकि, अकुशल मजदूरों के लिए महीने में 8758 रुपये और प्रतिदिन 336.85 रुपये तय है। ये दरें 1 अक्टूबर 2020 से 31 मार्च 2021 तक के लिए हैं। अन्य राज्य जैसे केरल में रसोइये 9500 रुपये वेतन पाते हैं।
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