कोरोना काल के बाद दीपावली पर दुकानदारों की बंधी उम्मीदें
  • 3 years ago
कोरोना काल के बाद दीपावली पर दुकानदारों की बंधी उम्मीदें
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मेरी मेहनत खरीदना लोगो मेरे घर भी दीवाली है.... जी हां सूबे के कुम्हारों की यही अपील यहां के लोगों से है। क्योंकि कोरोना काल के बाद दीपावली पर बाजारों में उमड़े ग्राहकों से दुकानदारों की भी उम्मीदों को पंख लगे है अब देखना होगा कि उड़ान कितनी ऊंची होगा। यहां के कुम्हार कई पुस्तों से मिट्टी के बर्तन दीए इत्यादि सामान बनाने का काम कर रहे हैं मगर उनकी आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही थी और उसका सबसे बड़ा कारण यह था कि कोरोना काल में ध्वस्त हुई दुकानदारी और मिट्टी के काम में भी चाइना का पदार्पण । चाइना के दीपक आने से सूबे के कुम्हारों पर एक संकट आ खड़ा हुआ था उनके दीपक कोई खरीदने के लिए तैयार नहीं था । क्योंकि उनकी तुलना में चाइना के दीपक सस्ते भी थे और डिजाइनर भी थे । कुन्हारों के मिट्टी के कुल्हड़ के साथ साथ अन्य बर्तनों पर भी थर्माकोल और डिस्पोजल सामानों ने करारी चोट की जिससे उन्हें दो दो बक्त की भी रोटी नसीब होना बंद हो गई। मगर कुछ दिनों पहले देश में स्वदेशी आंदोलन शुरू हुआ और चाइना से बिगड़ते सम्बन्ध के कारण चाइना के सामानों का बहिष्कार होने लगा और उसके बाद सरकार द्वारा प्लास्टिक और थर्माकोल से बने सामानों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के बाद सूबे के कुम्हारों की स्थिति कुछ हद तक सुधरी है । कोरोना काल का काफी समय बीतने के बाद आज कुम्हारों की स्थिति यह है कि उन्हें स्वदेशी आंदोलन के चलते एक बार फिर उन्हें मिट्टी के सामान बनाने का हौसला बढ़ा उसके साथ ही थर्माकोल और प्लास्टिक पर बैन होने के कारण मिट्टी द्वारा निर्मित वस्तुओं की मांग भी बाजार में बढ़ी है ।
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