लोक डाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की बिहार वापसी बड़ा चुनावी मुद्दा बनी. देखिए यह कार्टून
  • 4 years ago
िहार में चुनावी मौसम चल रहा है.सभी राजनीतिक दल तरह-तरह के लुभावने वादे करके मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं .इसके साथ ही सत्तारूढ़ दल की तरफ से अपने शासनकाल में कराए गए विकास कार्य भी जनता को गिनाए जा रहे हैं. बिहार में इस समय एनडीए की नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार है. कोरोना संक्रमण के कारण कुछ महीनों पहले लगे देशव्यापी लॉक डाउन के दौरान देश के विभिन्न राज्यों में नौकरी कर रहे प्रवासी बिहारी मजदूरों को अचानक अपने घर वापस लौटना पड़ा.हालांकि केंद्र सरकार की तरफ से उन्हें उनके घर पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेनें चलाई गई, परंतु शुरुआती कुछ दिनों में इसी तरह की व्यवस्था न होने के कारण मजदूर पैदल ही अपने घर की तरफ चल पड़े और रास्ते में ही भूखे प्यासे बहुत सारी परेशानियां झेलते हुए वे अपने गृह राज्य पहुंच पाए. उनमें से कई तो रास्ते में ही दुर्घटनाओं का शिकार होकर अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गए.यह मामला इस समय बिहार में बड़ा चुनावी मुद्दा बना हुआ है जहां कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल इसे सरकार की विफलता के रूप में हाईलाइट कर रहे हैं वही एनडीए की तरफ से मजदूरों को सकुशल बिहार लाने के दावे किए जा रहे हैं .अब देखना यह है कि मतदाता उस समय के घटनाक्रम को लेकर क्या सोच रहा है. वह इसे सरकार की विफलता मानकर अपना गुस्सा प्रकट करता है या प्रवासी मजदूर विशेष ट्रेनों को अच्छा कदम मानते हुए एनडीए सरकार को वोट रूपी समर्थन देता है. देखिए इस मुद्दे पर कार्टूनिस्ट सुधाकर का अंदाजेबयां.
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