निगम एलडीसी से निर्माण कार्य संबंधी 42 पत्रावलियां जब्त

  • 4 years ago
निगम एलडीसी से निर्माण कार्य संबंधी 42 पत्रावलियां जब्त

- निर्माणाधीन इमारत सीज मुक्त करने की एवज में एक लाख रुपए रिश्वत लेने का मामला

- बिचौलिए से जब्त पत्रावलियों से संबंधित प्रतिलिपियां व सूची बरामद

जोधपुर.
निर्माणाधीन इमारत को सीज मुक्त करने के बदले एक लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोपी नगर निगम (दक्षिण) के कनिष्ठ सहायक (अतिक्रमण शाखा) चन्द्रजीत हंस से 42 पत्रावलियां जब्त की गईं हैं। वहीं, बिचौलिए मोहम्मद जाहिद से इन पत्रावलियों से संबंधित सूची और कई प्रतिलिपियां बरामद की गईं। उधर, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की गिरफ्त में आए दोनों आरोपियों को अदालत ने शनिवार को न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के आदेश दिए।
एसीबी के उप महानिरीक्षक डॉ विष्णु कांत ने बताया कि प्रकरण में आरोपी निगम के कनिष्ठ सहायक चन्द्रजीत हंस और उदयमंदिर निवासी मोहम्मद जाहिद को एएसपी नरेन्द्र चौधरी ने शाम को भ्रष्टाचार निरोधक मामलात की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेजने के आदेश दिए गए। आरोपियों की कोविड-१९ जांच कराई गई। जांच रिपोर्ट आने तक दोनों को उदयमंदिर थाने की हवालात में रखा गया है।

निगम कार्यालय से घर ले जा रहा था पत्रावलियां
पकड़ में आने के बाद तलाशी लेने पर चन्द्रजीत हंस की मोपेड से ४२ पत्रावलियां व मध्यस्थ मोहम्मद जाहिद से इन ४२ पत्रावलियों की सूची बरामद हुई। जाहिद के पास इन पत्रावलियों से जुड़ी प्रतिलिपियां भी थी। इन्हें जांच के लिए जब्त कर लिए गए हैं। पकड़ में आया आरोपी चन्द्रजीत इन पत्रावलियों को कुछ देर पूर्व ही निगम के दक्षिण कार्यालय से लेकर बाहर निकला था और उन्हें घर ले जा रहा था।

निर्माणाधीन सीज इमारत की पत्रावली भी शामिल
एलडीसी चन्द्रजीत से जो ४२ पत्रावलियां जब्त की गई हैं, उनमें शिकायतकर्ता ताराचंद के निर्माणाधीन सीज इमारत की पत्रावली भी शामिल है। सीज मुक्ति के लिए पत्रावली को जयपुर भिजवाने के संबंध में निगम उपायुक्त के हस्ताक्षर हो चुके थे। जयपुर भिजवाने संबंधी पत्र भी टाइप हो चुका था। उस पर सिर्फ निगम आयुक्त के हस्ताक्षर होने बाकी थे। अब एसीबी यह जांच कर रही है कि पत्रावली को जयपुर भेजने के आदेश पर हस्ताक्षर रिश्वत लेने से पहले हुए या बाद में।

सभी पत्रावलियों से वसूली की आशंका
यह सभी पत्रावलियां उसके अधिकार क्षेत्र में निर्माणाधीन इमारतों से संबंधी है। एसीबी को अंदेशा है कि प्रत्येक पत्रावली से लाखों रुपए वसूलने की फिराक में थे अथवा इनसे वसूली की जा चुकी थी।

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