चाइनीज नहीं, स्वेदशी राखियों से सजेगी भाइयों की कलाई

  • 4 years ago
जयपुर। रक्षाबंधन के त्योहार पर बहनें रक्षासूत्र के जरिए चीन पर प्रहार करेंगी। रक्षाबंधन त्योहार से पहले देश भर में इस साल चीनी राखियों की मांग में गिरावट आई है। हाल ही में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों की हिंसक झड़प और भारत और चीन के बीच तनाव के कारण महिलाएं चाइनीज राखियों की जगह मेड इन इंडिया राखियों को अधिक पसंद कर रही हैं। भारत की ओर से चीन को एक बड़ा झटका लग सकता है।

आपको बता दें भाई-बहन के स्नेह का पर्व रक्षाबंधन तीन अगस्त को है। कोरोना काल में चाइनीज राखियों से परहेज कर चुकीं शहर की महिलाएं इस साल रक्षाबंधन पर अपने हाथों से बनी राखियां भाईयों की कलाइयों पर बांधेंगी।

जयपुर सहित प्रदेशभर में चाइनीज राखियों के बजाय कोलकाता, जयपुर, जोधपुर, अलवर, कोटा और महाराष्ट्र की राखियां भाइयों की कलाई पर सजेंगी। परकोटे के व्यापारियों का कहना है कि भले ही शुरुआत में ग्राहकों की भीड़ कम है, लेकिन धीरे-धीरे बाजार में रौनक लौटने की उम्मीद है। व्यापारियों ने पुराने स्टॉक को बेचने के साथ नया स्टॉक भी मंगवाया है। वहीं चीन की राखियों का बहिष्कार किया गया है। इससे राखियों के दाम में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी भी हुई है। परकोटे में पुरोहित जी का कटला, त्रिपोलिया बाजार, नाहरगढ़ रोड सहित राजापार्क, मालवीय नगर व सांगानेर सहित अन्य जगहों पर राखियों की दुकानें सज चुकी हैं। पुरोहित जी कटला के दुकानदार राजेंद्र मदान ने बताया कि बाजार में चाइनीज के बजाय मेड इन इंडिया राखियों की मांग है। बच्चों के लिए इस बार खास टिकटॉक व पब्जी वाला भाई की रााखियां खास है। कोरोना ब्वॉय भी खास बना हुआ है। इसके अलावा बारीक स्टोन मेटल, चांदी की अमरीकन डायमंड राखियां नई हैं। इनकी कीमत 500 से लेकर 1000 रुपए के बीच है। महिलाओं के लिए कड़ा और चूड़ा राखी 50 से 250 रुपए के बीच मौजूद हैं।

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