अल्पसंख्यकों को रोजगार के लिए तैयार करने की योजना, अभी नहीं हो पा रही ट्रेनिंग
  • 4 years ago
जयपुर। केंद्र सरकार की अल्पसंख्यकों के लिए चलाई जाने वाली कई योजनाएं अभी कोरोना महामारी की मार झेल रही हैं। ऐसे में रोजगार ट्रेनिंग सेंटर भी बंद हैं और अभ्यर्थियों को मिलने वाले भत्ते भी। ऐसी ही योजना है जीवन कौशल— सीखो और कमाओ योजना। यह केंद्र सरकार की ओर से 2013 में शुरू की गई योजना है, जिसका पूरा बजट केंद्र सरकार की ओर से ही दिया जाता है। इसमें अल्पसंख्यक अभ्यर्थियों को निशुल्क रोजगार की ट्रेनिंग देकर उन्हें स्वरोजगार के लिए तैयार किया जाता है। जो लोग हैंडीक्राफ्ट का काम इस योजना के तहत सीखकर काम कर रहे हैं, उनका सामान कोरोना की वजह से बिक नहीं रहा।
यह है उद्देश्य
इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े श्रमिकों, ड्रॉपआउट विद्यार्थियों में रोजगार योग्यता को विकसित और उनके लिए रोजगार को सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के पारम्परिक कौशल को संरक्षित करते हुए उनका बाजार से संपर्क बनाना है। ताकि उनके हाथ का हुनर बाजार तक पहुुंचे। इसके जरिए बेरोजगारी की दर को कम कर, देश की आर्थिक व्यवस्था को गति देना है।

कौशल पर निर्भर
यह योजना हुनर तराशने का एक प्रयोग की तरह है। जिसमें युवाओं के कौशल, जैसे चूड़ी बनाना, आरी—तारी का काम, सिलाई, चमड़े का काम, ज्वैलरी बनाना, ब्लू पॉटरी, पतंग बनाना, मशीनों की रिपेयरिंग, स्टोन कटिंग जैसे काम सिखाना। ताकि उम्रभर अपने हुनर के दम पर रोजगार के अवसर जारी रहें। इसके साथ इन आर्टिजन के बनाए सामान को बजार तक पहुंचाना भी उद्देश्य में शामिल रहा है।

ये हो सकते हैं योजना में शामिल
सीखो और कमाओ योजना के तहत 14 से 35 वर्ष की आयु के युवाओं को लक्ष्य बनाया गया है। इन युवाओं के विभिन्न आधुनिक और पारम्परिक व्यवसायों में उनकी शैक्षणिक योग्यता, वर्तमान आर्थिक स्थिति और बाजार संभावना के अनुसार उनके कौशल स्तरों में सुधार किया जाना है। इसमें राष्ट्रीय व्यवसायिक प्रशिक्षण परिषद के द्वारा स्वीकृत प्रमाणिक रोजगारपरक कौशल को शामिल किया गया। इस योजना को कौशल प्रशिक्षण और औद्योगिक संघों के क्षेत्र में सूचीबद्ध ऐसे विशेषज्ञ संगठनों से जोड़ना है, जो रोजगार योग्यता को सुनिश्चित कर सकें। इसके तहत 75 प्रतिशत रोजगार प्रतिशत की गारंटी देने वाले संगठनों को प्राथमिकता दी जानी है।
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