खादी खाकी अपराधी गठजोड़ से पैदा होते है विकास जैसे अपराधी

  • 4 years ago
अथ ,,विकास दुबे इन्काउंटरस्य.....
-त्वरित टिप्पणी
क्या यह एसटीएफ की नाकामयाबी का खिताब है
संदीप रिछारिया(वरिष्ठ संपादक)
एसटीएफ के गठन यूपी के खतरनाक सुपाड़ी किलर श्री प्रकाश शुक्ला को मारने के लिए किया गया था। शुक्ला को एसटीएफ ने ढेर भी किया।अब जब पुलिस बल से चुनिदा जांबाजों को चुनकर स्पेशल टास्क फोर्स बनाई तो राजनीतिक तौर पर तो ऐलान अपराधियो को मारने का किया गया था,लेकिन एसटीएफ ने उन अपराधियो पर ज्यादा हाथ डाला जो सत्ता पक्ष के विरोधी हो चुके थे। डाकू ददुआ को याद करें तो वह पहले जातीय समीकरणों के बसपा के साथ ही रहा। उसने सांसद और विधायक बनवाये,इसके बाद उसने पूर्व सांसद श्यामाचरण गुप्ता के लिए बसपा के हाथी से उतरकर साइकिल की सवारी कर ली। लोकसभा के चुनाव में जंगलों और पहाड़ो में दो रंग वाले साइकिल के निशान वाले झंडे जंगलों और पहाड़ों पर दिखाई देने लगे। श्यामाचरण सांसद भी बने। इसके बाद अचानक भाजपाई मिश्र परिवार की इंट्री बसपा में हुई और नारा लगाया गया चढ़ ददुआ की छाती पर मोहर लगाओ हाथी पर , लिहाजा पहली बार ददुआ को कर्वी विधानसभा से डिफीड मिली।इस चुनाव में एसटीएफ की घेराबंदी से ददुआ चुनाव का प्रचार अपनी पूरी ताकत से नही कर सका था। इसके बाद 17 जुलाई 2007 को झलमल के जंगल मे ददुआ को एसटीएफ ने बहुत ही नाटकीय घटनाक्रम के बाद ढेर कर दिया। यह बात और रही कि इसी दिन एक अन्य टीम ने ददुआ के ही पालित पोषित एक अन्य गिरोह छोटा पटेल को 8 साथियों के साथ जंगलों में ही मार दिया। इसी दिन दूसरे दुर्दांत डाकू ठोकिया ने भी 8 जवानों को मौत के घाट उतार दिया। बाद में एसटीएफ ने जब ठोकिया को उसी के गाँव के पास मारा तो कही से लगा नही कि इतने खतरनाक डाकू को एसटीएफ ने मुठभेड़ के बाद मारा है। वैसे इसके अलावा एसटीएफ ने तमाम डाकुओ को मारा और तमाम अन्य अपराधियो को जेल भिजवाया,पर विकास दुबे के मामले में कुछ सवाल खड़े होते है। यूपी में सीओ के साथ अन्य सिपाहियों को मारने के बाद उसका महाकाल तक पहुँचना और खुद को गिरफ्तार करवाना या सरेंडर करना,,, इसके बाद बड़े आराम से यूपी एसटीएफ के साथ आना,व कानपुर के बर्रा टाने के पास यूपी एसटीएफ की गाड़ियों का एक्सीडेंट और फिर विकास का सिपाही की पिस्टल लेकर भागने का प्रयास,,,लेकिन सच्चाई यही है कि एसटीएफ ने विकास को ढेर कर दिया। विकास का इनकाउंटर एक बार फिर इस बात का साफ संकेत है कि खाकी और खादी के साथ ही अपराधियो का गठजोड़ भले ही कितना पुख्ता मजबूत दिखाई दे और अपराधी कुछ समय के लिए कितना भी चमक ले लेकिन उसका अंजाम यही होता है।

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