मदरसा पैराटीचर्स का मानदेय बढ़ने की उम्मीदों पर 'लॉकडाउन'

  • 4 years ago
राजस्थान के करीब 6 हजार मदरसा पैराटीचर्स को अपना मानदेय बढ़ने का इंतजार है। लम्बे समय से कोई बढ़ोतरी ना मिलने के बाद पिछले साल राज्य की कांग्रेस सरकार ने अप्रेल 2020 से 15 प्रतिशत मानदेय बढ़ाने का आश्वासन दिया था। साथ ही बजट 2019—2020 में इस मानदेय के लिए प्रस्ताव पास भी कर दिय गया था। लेकिन अब तक यह आश्वासन मूर्त रूप में नहीं आ सका है। लॉकडाउन के दौरान भी प्रशासन के सहयोगी के तौर पर काम कर रहे मदरसा पैराटीचर्स को सरकार से मानदेय बढ़ाने की उम्मीद है।
पांच साल में दो बार बढ़ा था मानदेय
मदरसा पैराटीचर्स के मानदेय में हर साल जुलाई माह में अधिकतम 400 रूपए का इंक्रीमेंट दिया जाता है। बढ़ोतरी की बात करें तो पिछली भाजपा सरकार के पांच सालों में दो बार इनके मानदेय में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। नई सरकार आने के बाद से अब तक कोई बढ़ोतरी मानदेय में इन्हें नहीं मिली है, जबकि कांग्रेस सरकार ने 15 प्रतिशत बढ़ोतरी का वादा किया था।

न्यूनतम मानदेय पर कर रहे काम
राज्य में 2001 से मदरसा पैराटीचर्स की भर्ती होना शुरू हुई थी। 3500 रजिस्टर्ड मदरसों में इस समय 6000 से ज्यादा मदरसा पैराटीचर्स सेवाएं दे रहे हैं। इनका अधिकतम मानदेय 9000 रुपए है और न्यूनतम 7000 रुपए का मानदेय दिया जाता है। पैराटीचर्स अरसे से न्यूनतम मानदेय 15 हजार रुपए करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी उनका जो मानदेय है, वही बढ़ता मुश्किल नजर आ रहा है।

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