वीणा की वाणी | ras | Grade 10| cbse| Explanation| Example| part 1| #ras#ang#meaning#bhed#example|
  • 4 years ago
armaveena9999@gmail.com, वीणा की वाणी
aapke aseem sneh k liye apka vandan h abhinandan h...bahut bahut aabhaar
please comment...give me your precious suggestions also.
परीक्षा में निम्न प्रकार से प्रश्न पूछे जाते हैं-
1-किसी भी रस का उदाहरण लिखिए।
2-काव्य पंक्तियों में निहित रस बताइए-
3-आश्रय - आलंबन छाँटिए-
4-विभाव किसे कहते हैं?
5-रस के अवयव बताइए।
सरल उदाहरण-
1-शृंगार-संयोग- जिसके अरुण कपोलों की मतवाली संुदर छाया में ।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
वियोग- मधुप गुनगुनाकर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,
मुरझाकर गिर रही पत्तियाँ देखो कितनी आज घनी।
2-हास्य-खद्दर कुरता भकभकौ, नेता जैसी चाल।
यहि बानक मो मन बसौं , सदा बिहारी लाल।।
3-रौद्र- सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा, सहसबाहु सम सो रिपु मोरा।
सो बिलगाउ बिहाइ समाजा ,न त मारे जेहहिं सब राजा।।
4-करुण-ऐ मेरे वतन के लोगों ,जरा आँख में भरलो पानी ।
जो शहीद हुए हैं उनकी याद करो कुर्बानी।।
5-वीर- बादल गरजो !
घेर घेर घोर गगन धाराधर ओ!
ललित ललित काले धँघराले ---पाले।
विद्युत छवि उर में , कवि ,नवजीवन वाले!
6-वात्सल्य- तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान,
मुझेे लगती बड़ी ही छविमान।
1. करुण रस
करुण रस का स्थायी भाव शोक होता है इस रस में किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग, एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है उसे करुण रस कहते हैं|
यदि कोई दुर्घटना हो जाती है और उस दुर्घटना में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं और उस घटना से अन्य लोग दुखी रहते हैं |
2. वीर रस
वीर रस में स्थायी भाव उत्साह होता है इस रस में जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना होती है|
जंहा विषय और वर्णन में उत्साह युक्त वीरता के भाव को प्रदर्शित किया जाता है वंहा वीर रस होता है |
वीर रस के चार भेद है युद्वीर , धर्मवीर , दानवीर , दयावीर है|
वीर रस में इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है|
3. श्रंगार रस
श्रंगार रस में स्थाई भाव रति होता है इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है| श्रंगार रस में सुख की प्राप्ती होती है | श्रृंगार रस में प्रेम,मिलने, बिछुड़ने आदि जैसी क्रियायों का वर्णन होता है तो वहाँ श्रृंगार रस होता है|
4. वात्सल्य रस
वात्सल्य रस का स्थायी भाव वात्सल्यता होता है। इस रस में बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम,माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम,गुरुओं का शिष्य के प्रति प्रेम आदि का वर्णन किया जाता है। यही स्नेह का भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस कहलाता है।
माँ का बेटे से प्यार
बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति
5.हास्य रस
हास्य रस का स्थाई भाव हास होता है इसके अंतर्गत वेशभूषा, वाणी आदि को देखकर मन में जो विनोद का भाव उत्पन्न होता है उससे हास की उत्पत्ति होती है इसे ही हास्य रस कहते हैं|
6. रौद्र रस
रौद्र रस स्थायी भाव क्रोध होता है जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दुसरे पक्ष या दुसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि कि निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है उसे रौद्र रस कहते
extra examples- 1 शृंगार रस
"गाता शुक जब किरण बसंती छूती अंग पर्ण से छनकर
किंतु शुकी के गीत उमड़कर रह जाते सनेह में सन कर"
2 वीर रस
" वह खून कहो किस मतलब का जिसमें उबाल का नाम नहीं
वह खून कहो किस मतलब का आ सके देश के काम नहीं"
3 करुण रस
"हां स
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