आखिर सरकार ने शराब की दुकानें ही क्यों खोली... ये रहा जवाब
  • 4 years ago
राज्यों की इॅकोनामी क्या वाकई में शराब पर निर्भर करती है इसका जवाब सोमवार को देश में खुली शराब की दुकानों पर हुई धुंआधार को देखते हुए खुद ब खुद ही मिल गया। कई राज्यों की सरकार केंद्र सरकार से लॉक डाउन के दौरान शराब की दुकानें खोलने की मांग कर रही थी तो आखिर सरकार ने चार मई से इन्हें खोल दिया और पहले ही दिन शराब बिक्री के नए रिकॉर्ड बन गए। हालात ये रहे कि अतिरिक्त जाब्ता भी कम पड गया नतीजा कई राज्यों में तो समय से पहले ही दुकानों को भी बंद कर दिया गया। लॉकडाउन 3 में शराब कारोबार को खोल दिया गया है. इसको लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा है कि राज्यों की अर्थव्यवस्था शराब के भरोसे चल रही है। देखते हैं इसमें कितनी सच्चाई है, राज्यों की सरकारें शराब से कितना कमा रहीं हैं...।


असल में राज्यों की कमाई के मुख्य स्रोत हैं- राज्य जीएसटी, भू-राजस्व, पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट या सेल्स टैक्स, शराब पर लगने वाला एक्साइज और गाड़ियों आदि पर लगने वाले कई अन्य टैक्स. शराब पर लगने वाला एक्साइज टैक्स यानी आबकारी शुल्क राज्यों के राजस्व में एक बड़ा योगदान करता है। शराब और पेट्रोल-डीजल को जीएसटी से बाहर रखा गया है। इसलिए राज्य इन पर भारी टैक्स लगाकर अपना राजस्व बढ़ाते हैं। हाल में राजस्थान सरकार ने शराब पर एक्साइज टैक्स 10 फीसदी बढ़ा दिया. राज्य में अब देश में निर्मित विदेशी शराब (IMFL) पर टैक्स 35 से 45 फीसदी तक हो गया है. इसी तरह बीयर पर भी टैक्स बढ़ाकर 45 फीसदी कर दिया गया है. यानी 100 रुपये की बीयर में 45 रुपया तो ग्राहक सरकार को टैक्स ही दे देता है। राज्यों के राजस्व का बड़ा हिस्सा शराब और पेट्रोल-डीजल की बिक्री से आता है. लॉकडाउन की वजह से इन दोनों की बिक्री ठप थी, इस वजह से राज्यों की वित्तीय हालत खराब हो गई थी. हालत यह हो गई थी कि कई राज्यों को 1.5 से 2 फीसदी ज्यादा ब्याज पर कर्ज लेना पड़ा था।


ज्यादातर राज्यों के कुल राजस्व का 15 से 30 फीसदी हिस्सा शराब से आता है। शराब की बिक्री से यूपी के कुल टैक्स राजस्व का करीब 20 फीसदी हिस्सा मिलता है। उत्तराखंड में भी शराब से मिलने वाला आबकारी शुल्क कुल राजस्व का करीब 20 फीसदी होता है। सभी राज्यों की बात की जाए तो पिछले वित्त वर्ष में उन्होंने कुल मिलाकर करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये की कमाई यानी टैक्स राजस्व शराब बिक्री से हासिल की थी। शराब की बिक्री से वित्त वर्ष 2019-20 में महाराष्ट्र ने 24,000 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश ने 26,000 करोड़, तेलंगाना ने 21,500 करोड़, कर्नाटक ने 20,948 करोड़, पश्चिम बंगाल ने 11,874 करोड़ रुपये, राजस्थान ने 7,800 करोड़ रुपये और पंजाब ने 5,600 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया था। दिल्ली ने इस दौरान करीब 5,500 करोड़ रुपये का आबकारी शुल्क हासिल किया था। बिहार और गुजरात में शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है। लेकिन शराब की तस्करी पूरे देश में ही चालू है।
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