जामिया में नागरिकता क़ानून के विरोध का अलग नमूना

  • 4 years ago
देशभर में संशोधित नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन जारी है। इस बीच दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र-छात्रा, विरोध का एक अलग नमूना पेश कर रहे हैं। जामिया विश्वविद्यालय के दीवारों पर छात्रा-छात्रा, अलग-अलग तरह की कलाओं का प्रयोग कर विरोध जता रहे हैं। दीवारों पर दलित छात्र रोहित वेमुला से लेकर जेएनयू छात्र नजीब अहमद तक की पेंटिंग बनाई गई है और उसके साथ एक संदेश दिये जा रहे हैं। 

छात्र-छात्राओं ने भगत सिंह की भी पेंटिंग बनाई है जिसपर उन्होंने उर्दू शायर फैज़ अहमद फैज़ की शायरी लिखी है। जामिया की छात्रा सिमी बताती हैं कि फैज़ अहमद फैज़ ने भगत सिंह से प्रेरणा लेकर लिखी थी। फैज़ ने लिखा था, ‘जिस धज से कोई मक़्तल में गया वह शान सलामत रहती है, ये जान तो आनी जानी है इस जाँ की तो कोई बात नहीं।’ जामिया की छात्रा सिमी, फैज़ की इस शायरी का मतलब बताती हैं, ‘भगत सिंह ने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ क्यों लड़ाई लड़ी वो मायने रखती है ना कि ये कि उनकी जान चली गई।’ सिमी, इस पेंटिंग को उन लोगों को समर्पित करती हैं, जिन्होंने सरकार के नए क़ानूनों के ख़िलाफ चल रहे प्रदर्शोनों में अपनी जान गंवा दी।
विस्तार में बता रही हैं गोन्यूज़ संवाददाता अंजिल ओझा।
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