अपने जिय से जानिए मेरे जिय की बात || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2015)

  • 4 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२० दिसम्बर २०१५
महर्षि रमण केंद्र

दोहा:
तत वह तत एक है, एक प्रान दुइ गात
अपने जिय से जानिये, मेरे जिय की बात

प्रसंग:
"अपने जिय से जानिये, मेरे जिय की बात" इस दोहे में कबीर क्या बताना चाह रहे है?
संतो की बाते कैसे सुनना चाहिए?
संतो की भाषा को भी आम भाषा क्यों समझ ली जाती है?
आज कल की शिक्षा प्रणाली में भी संतो के दोहे/संतो की कहानियों को भी आम कहानियों,कॉमिक या चुटकुला की तरह क्यों पढ़ा दिया जाता है?