माँ के गर्भ को, और जन्म लेने को, दुःख क्यों माना गया? || आचार्य प्रशांत, आचार्य शंकर पर (2019)

  • 4 years ago
वीडियो जानकारी:
हार्दिक उल्लास शिविर
२२ सितंबर, २०१९
अहमदाबाद, गुजरात

प्रसंग:
पुनरपि जननं पुनरपि मरणं पुनरपि जननी जठरे शयनम् ।
इह संसारे बहुदुस्तारे कृपयाऽपारे पाहि मुरारे ॥
~भजगोविन्दम , श्लोक संख्या २१

जीवन ओर मृत्यु के खेल को कैसे समझें?
क्या जीवन ओर मृत्यु असली हैं?
असली मुक्ति कब है?

संगीत: मिलिंद दाते

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