जहाँ कोई आवे न जावे || आचार्य प्रशांत, गुरु कबीर पर (2016)
- 4 years ago
वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग, अद्वैत बोध शिविर
२६ दिसम्बर,२०१६
ऋषिकेश, उत्तराखंड
प्रसंग:
संगीत: मिलिंद दाते
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दोहा:
स्वर्ग सात असमान पर, भटकत है मन मूढ।
खालिक तो खोया नहीं, इसी महल में ढूंढ़।।
~ गुरु कबीर
नैहरवा हम का न भावे
साई कि नगरी परम अति सुन्दर,
जहाँ कोई जाए ना आवे
चाँद सुरज जहाँ, पवन न पानी,
कौ संदेस पहुँचावै
दरद यह साई को सुनावै
आगे चालौ पंथ नहीं सूझे,
पीछे दोष लगावै
केहि बिधि ससुरे जाऊँ मोरी सजनी,
बिरहा जोर जरावे
विषै रस नाच नचावे
बिन सतगुरु आपनों नहिं कोई,
जो यह राह बतावे
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
सपने में प्रीतम आवे
तपन यह जिया की बुझावे
नैहरवा
~ गुरु कबीर
शब्दयोग सत्संग, अद्वैत बोध शिविर
२६ दिसम्बर,२०१६
ऋषिकेश, उत्तराखंड
प्रसंग:
संगीत: मिलिंद दाते
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दोहा:
स्वर्ग सात असमान पर, भटकत है मन मूढ।
खालिक तो खोया नहीं, इसी महल में ढूंढ़।।
~ गुरु कबीर
नैहरवा हम का न भावे
साई कि नगरी परम अति सुन्दर,
जहाँ कोई जाए ना आवे
चाँद सुरज जहाँ, पवन न पानी,
कौ संदेस पहुँचावै
दरद यह साई को सुनावै
आगे चालौ पंथ नहीं सूझे,
पीछे दोष लगावै
केहि बिधि ससुरे जाऊँ मोरी सजनी,
बिरहा जोर जरावे
विषै रस नाच नचावे
बिन सतगुरु आपनों नहिं कोई,
जो यह राह बतावे
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
सपने में प्रीतम आवे
तपन यह जिया की बुझावे
नैहरवा
~ गुरु कबीर