तुम समाज की कठपुतली तो नहीं || आचार्य प्रशांत (2018)
  • 4 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग, पार से उपहार
२२ अप्रैल, २०१८
कुंजुम कैफ़े, दिल्ली

प्रसंग:
हम समाज की कठपुतली क्यों बन चुके है?
समाज से आने वाले विभिन्न प्रभावों से कैसे बचें?
प्रज्ञा माने क्या है?
आध्यात्मिकता के साथ समाज में कैसे रहें?
समाज से इतना डर क्यों लगता है?
आध्यात्मिकता क्या होती है?
सांसारिक काम करते हुए अध्यात्म के साथ कैसे रहें?
क्या संसार में रहकर आध्यात्मिक हो सकते हैं?
समाज में छवि बनाने की चाह क्यों रहती है?
जीवन को कैसे समझें?
जीवन को नया कैसे बनाएँ?
समाज के दवाब से कैसे बचें?
क्या समाज की दी हुई शिक्षा उचित होती है?

संगीत: मिलिंद दाते