इच्छा जिसे तलाश रही है वो इच्छा द्वारा मिल ही नहीं सकता || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

  • 4 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१८ मई २०१४,
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
बूड़ा था पै ऊबरा, गुरु की लहरि चमंकि |
भेरा देख्या जरजरा, (तब) ऊतरि पड़े फरंकि || (संत कबीर)

प्रसंग:
इच्छा माने क्या ?
क्या संसार की दौड़ से इच्छाओं को तृप्त किया जा सकता है?
इच्छा की वास्ताविक खोज क्या है?