कर्मसन्यासी कौन है? || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2019)
  • 4 years ago
वीडियो जानकारी:

१७ अगस्त २०१९
शब्दयोग सत्संग
अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः ।
स सन्न्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः ॥
(भगवद गीता श्लोक १, अध्याय ६)

भावार्थ : श्री भगवान बोले- जो पुरुष कर्मफल का आश्रय न लेकर करने योग्य कर्म करता है, वह संन्यासी तथा योगी है और केवल अग्नि का त्याग करने वाला संन्यासी नहीं है तथा केवल क्रियाओं का त्याग करने वाला योगी नहीं है॥

कर्मसन्यासी कौन है?
कैसा कर्म उचित?
कर्म किसके लिए करें?
मनुष्य का उच्चतम लक्ष्य क्या होना चाहिए?

संगीत: मिलिंद दाते