मन उलझी-उलझी कोशिशें करता है सुलझने के लिए || आचार्य प्रशांत (2014)

  • 4 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१६ जुलाई २०१४
अद्वैत बोधस्थल

प्रसंग:
मन सहज को क्यों नहीं स्वीकार करता है?
अहंकार मन को क्यों भाती है?
मन उलझी-उलझी कोशिशें करता है सुलझने के लिए