बिखरे मन के लिए संसार में टुकड़े ही टुकड़े || आचार्य प्रशांत, दादू दयाल पर (2014)

  • 4 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२२ जून २०१४,
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
स्वाति बूँद केतली में आए,पारस पाये कपूर कहाए |
दर्पण फूटा कोटि पचासा, दर्शन एक सब में बासा ||

प्रसंग:
बिखरे मन के लिए संसार में टुकड़े ही टुकड़े?
"दर्पण फूटा कोटि पचासा, दर्शन एक सब में बासा" दादू दयाल यहाँ क्या बताना चाह रहे है?
मन टुकड़े- टुकड़े में क्यों रहता हैं?