देह का रिश्ता नष्ट हो जाएगा, क्या है जिसे काल छू नहीं पाएगा? || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२८ मई २०१४,
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
पत्ता बोला वृक्ष से, सुनो वृक्ष बनराय |
अब के बिछड़े न मिले, दूर पड़ेंगे जाय || (संत कबीर)

प्रसंग:
मनुष्य में देह भाव इनता गहरा क्यों है?
देह से हमारा रिश्ता कितना सार्थक है?
देह भाव से ऊपर कैसे उठा जाये?