जैसी तुम्हारी सोच, वैसे तुम || आचार्य प्रशांत, श्रीकृष्ण पर (2015)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१ अप्रैल २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय-२ श्लोक-६२)
ध्यायतो विषयान्पुंसः संगस्तेषूपजायते
संगात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते

प्रसंग:
स्वयं को सुधारने का माध्यम क्या है?
सोंच कैसे बदलें?
क्या मन और जीवन दोनों एक ही है?