सत्य का गहरा व सूक्ष्म स्मरण || आचार्य प्रशांत, संत मलूक दास पर (2014)
  • 4 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
३ सितम्बर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
सुमिरन ऐसा कीजिए, दूजा लखे न कोय |
ओठ न फरकत देखिए, प्रेम राखिए गोय || (संत मलूकदास)

प्रसंग:
सत्य की याद दुःख में ही क्यों सताती है?
सत्य को निरंतर कैसे याद रखें?
झूठ से आसक्ति कैसे हटायें?
संतों के क़रीब आने का क्या तरीका है?