मनुष्य का नाश कब होता है? || आचार्य प्रशांत, श्रीकृष्ण पर (2018)
  • 4 years ago
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शब्दयोग सत्संग
२२ फ़रवरी २०१८
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

ये ते मतमिदं नित्यमनुतिष्ठन्ति मानवाः |
श्रद्धावन्तोSनसूयन्तो मुच्यन्ते तेSपि कर्मभिः || ३१ ||

जो मनुष्य दोषदृष्टि रहित और श्रद्धायुक्त होकर मेरे इस मत का नित्य पालन करते हैं, वे भी कर्मों के बंधन से मुक्त हो जाते हैं।

(अध्याय ३, श्लोक ३१)

ये त्वेतदभ्यसूयन्तो नानुतिष्ठन्ति मे मतम्|
सर्वज्ञानविमुढ़ांस्तान्विद्धि नष्टानचेतसः || ३२ ||

परन्तु जो मेरे इस मत में दोषदृष्टि रख कर उनका पालन नहीं करते, ऐसे विवेकशून्य और सभी प्रकार के ज्ञानों में भ्रमित लोगों को नष्ट हुआ ही जान।

(अध्याय ३, श्लोक ३२)

प्रसंग:
मनुष्य का नाश कब होता है?
मनुष्य का नाश क्यों होता है?
क्या सत्य पर संदेह करना ही मनुष्य का नाश है?
कृष्ण के प्रति मन में श्रद्धा कैसे जगाए?
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