जिन प्रभावों से मन गंदा होता है, क्यों उनके पास जाते हो? || आचार्य प्रशांत (2015)
- 4 years ago
वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
६ सितम्बर २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग:
जिन प्रभावों से मन गंदा होता है, क्यों उनके पास जाते हो?
मन तत्काल आकर्षण में क्यों लिप्त होना चाहता है?
हम बार-बार एक ही गलतियों को क्यों दुहराते रहते है?
शब्दयोग सत्संग
६ सितम्बर २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग:
जिन प्रभावों से मन गंदा होता है, क्यों उनके पास जाते हो?
मन तत्काल आकर्षण में क्यों लिप्त होना चाहता है?
हम बार-बार एक ही गलतियों को क्यों दुहराते रहते है?