व्यर्थ ही मार खा रहे हो जीवन से || आचार्य प्रशांत, श्रीरामचरितमानस पर (2017)

  • 5 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
९ जून २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
ज्यों जग बैरी मीन को आपु सहित बिनु बारि ।
त्यों तुलसी रघुबीर बिनु गति आपनी बिचारि ।।
~ गोस्वामी तुलसीदास

प्रसंग:
जीवन को राममय कैसे बनाएं?
रामचरितमानस को कैसे समझें?
तुलसीदास जी के दोहों का अर्थ कैसे समझें?
जीवन से मार खाने से क्या आशय है?
राम से दूरी किस प्रकार जीवन को नरक बना देती है?
माया से किस प्रकार बचें? संसार में पिटाई से कौन बचा सकता है?
क्या जीवन के अनुभव राम की ओर ही ले जाते हैं? क्या माया भी कैसे राम से दूर कर देती है?
श्रीराम की भक्ति कैसे करें?
क्या राम ही जीवन का आधार हैं?

संगीत: मिलिंद दाते

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