ध्रुव कैसे बना ध्रुव तारा | ध्रुव तारा की एतिहासिक कहानी | अर्था

  • 5 years ago
भगवान विष्णु के चमत्कार और उनके भक्तो की कई सारी कहानिया बहुत ही मनभावक और उपदेश पूर्ण है। आज के वीडियो में हम आपको ऐसे ही भगवन विष्णु के भक्त के बारे में बताने जा रहें हैं

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१ ध्रुव, राजा उत्तानपाद और रानी सुनीती के पुत्र थे। उनकी कहानी विष्णु पुराण और भागवत पुराण में वर्णित की गयी है और वह भगवान विष्णु के महान तपस्वी भक्त थे

२ राजा उत्तानपाद को अपनी दूसरी सबसे प्रिय पत्नी सुरुचि से उत्तम नाम का और एक पुत्र था। इस कारण ध्रुव को उत्तम की तरह अपने पिता का प्रेम नहीं मिल पाया था
३ एक दिन, जब पांच वर्षीय ध्रुव को राजा के सिंहासन पर अपने पिता की गोद में बैठना था, तो उसकी सौतेली माँ ने उसे रोष के साथ वहा से उठा लिया और कहा की वह यहाँ बैठने के लायक नहीं है

४ ध्रुव को इन कठोर शब्दों से बहुत दुःख पहुंचा और उसने इसकी शिकायत अपने माँ से की। सुनीति ने उसे सांत्वना देने हेतु कहा की इस बात से दुखी मत हो, तुम यदि भगवान विष्णु की प्रार्थना करोगे तो वे तुम्हे सबसे अधिक प्रेम देंगे

५ अगली सुबह, उन्होंने भगवान विष्णु के प्रति अपने मन में जगह बना ली और एक तपस्वी बनने का लक्ष्य रखा, और वे जंगल में चले गए

६ वहां उनकी भेंट महर्षि नारद से हुई। आश्चर्यजनक नारद ने उन्हें निर्देश दिया कि वे इतने कम उम्र में इतनी कठोर तपस्या नहीं करें। परंतु, ध्रुव के दृढ़ संकल्प के लिए कोई भी सीमा बाधित नहीं थी।

७ भगवान विष्णु का ध्यान करने के लिए आवश्यक अनुष्ठानों के निर्देश नारद मुनि ने ध्रुव को दिए। उन्होंने उसे "ओम नमो भगवते" मंत्र सिखाया और सिर्फ प्रार्थना करने का उपदेश दिया

८ ध्रुव ने छह महीनों तक भोजन और पानी का त्याग कर ध्यान और तपस्या शुरू की। हर कोई अचंभित था की एक छोटा बच्चा इतने महीनों तक तपस्या कैसे कर रहा है

९ इंद्र देव ने पाताल से सर्पों को भेजकर ध्रुव की तपस्या भंग करने का प्रयत्न किया परंतु सप्त ऋषियों ने ध्रुव की रक्षा करना शुरू कर दिया था। पांच वर्षीय बच्चे की इतने दृढ संकल्प के साथ तपस्या देख कर तीनों लोक उसके तप के शक्ति के आगे नमन हो गए थे

१० अंत में भगवान विष्णु, ध्रुव के सामने एक उज्ज्वल रूप में प्रकट हुए और उसका नाम पुकारा। भगवान की आवाज सुनकर ध्रुव रोमांचित हुआ और इतना आश्चर्चकित हुआ क

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