पुनर्जन्म के बारे में अनजाने सच | अर्था । आध्यात्मिक विचार
  • 5 years ago
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१ हिन्दू तत्त्वज्ञानअपने मानने वालों को सिखाता है कि , हर एक व्यक्ति की एक विशिष्ट आत्मा ( जीवा ) होती है

२ जीवा का संसार में पुनर्जन्म होना स्वाभाविक है, जिस का अर्थ ये है कि नश्वर जगत में मृत्यु और पुनर्जन्म का यह एक चक्र है

३ यह कहा जाता है कि हर आत्मा सात जीवन चक्र से गुज़रती है, जिसके बाद वो अपने आप ही मुक्त हो जाती है

४ भगवान कृष्ण ने भगवद गीता में कहा है कि, मृत्यु जीवन का अंत नहीं है, केवल मानव शरीर मरता है आत्मा नहीं

५ उन्होंने कहा कि सारी दुनिया लगातार होने वाली पुनर्जन्म और देह धारण की इस यात्रा में भटकती रहती है

६ इसी प्रकार, व्यक्ति का निश्चित रूप से पुनर्जन्म होता है यदि उसकी मृत्यु अचानक हुई हो और उसकी इच्छायें अधूरी रह गयी हों

७. भगवद गीता में यह भी कहा गया है कि व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक आत्मा अमर और अनन्त है

८ भगवद गीता के अनुसार , एक व्यक्ति ये फैसला कर सकता है कि वह चाहे वो स्त्री हो पुरुष कि वह अगले जन्म में क्या बनना चाहता है

९ आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में यात्रा करती है, यह पुनर्जन्म का अन्तहीन चक्र है जब तक कि वह मोक्ष प्राप्त कर ले.

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