Aaj live to huai nahi but ek bachapan ki kavita hi sahi

  • 6 yıl önce
पहुँचे एक दुकान पर पहलवान महमूद
खोल रहा था जहाँ पर भरी कढ़ाई दूध,
भरी कढ़ाई दूध नही जेबो मे पैसे,
सोचा दूध पिये तो पिये कैसे,
फेरा सिर पर हाथ याद आ गया
हथकंडा ।
बोले हलवाई से एक किलो दूध कर दिजिये ठंडा,
चढ़ा गये सब गटागट मारी एक डकार,
फिर बोले हलवाई से बेवकूफ हो यार,
बेवकूफ हो यार तुम्हे आता नही तरीका,
बिना शक्कर का दूध तुमने दे दिया हमको फीका !!
हलवाई बोला-
पहलवान जी गलती भाड मे डाले
ऊपर से प्लेट भर कर शक्कर खाले,
शक्कर खाकर पहलवान जी
गये जमीन पर लेट,
गये जमीन पर लेट
दिखाये लटके अपने
बेलन जैसे इधर उधर को लगे लुढ़कने,
इतने मे वहाँ हेल्थ आफिसर आया,
हुआ दूध पर शक दूध नाली मे फिकवाया !!
पहलवान को ले गये
अम्बुलेनस मे डाल,
फिर पूछा डाक्टर ने अब कैसा है हाल,
पहलवान जी बोले --
अब कैसा है हाल,
हाल क्या तुम्हें बताये।
बीमारी हो कोई तो इलाज उसका करवाये!!
हिला रहे थे डुला रहे थे ,
दूध और शक्कर पेट मे मिला रहे थे!!

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