...और अब यादों में रह जाएगा 156 साल पुरानी श्रमिक ट्रेन का सफर

  • 6 years ago
जमालपुर-किऊल रेलखंड पर अभयपुर स्टेशन। मंगलवार, शाम के साढ़े पांच बजे थे। 73903 श्रमिक ट्रेन जमालपुर से खुलकर सभी छोटे-बड़े स्टेशनों पर रुकते हुए आकर प्लेटफॉर्म पर लगी थी। 12-14 की संख्या में श्रमिक और 60 से ज्यादा यात्री उतरे। फरक्का एक्सप्रेस को पास कराने के बाद ट्रेन कजरा, उरैन व धनौरी के लिए खुल चुकी थी।
156 साल पुराने इस ट्रेन के इतिहास बन जाने से पहले इसके अंतिम सफर का साक्षी बनने के लिए हिन्दुस्तान टीम भी इस पर सवार हुई। संवाददाता के ट्रेन में प्रवेश करते और कैमरा ऑन करते ही यात्रियों के बीच कौतूहल। सभी इस बात से वाकिफ थे कि ट्रेन अपना अंतिम फेरा लगा रही है। यात्रियों के चेहरे पर इस बात की निराशा थी कि ट्रेन बुधवार यानि कि एक नवंबर से बंद होने जा रही है। हमने उनसे बातचीत शुरू की।
जमालपुर से कजरा के लिए चढ़े विजय साह का कहना था कि श्रमिकों या रेलकर्मियों के बहाने आम यात्रियों के लिए भी यह ट्रेन महत्वपूर्ण साधन थी। संजीव व राकेश कुमार ने कहा कि ट्रेन को सवारी गाड़ी में तब्दील कर देना चाहिए। इसकी टाइमिंग पर दूसरी ट्रेनें भी नहीं है। काफी दिक्कत होगी।
ट्रेन चले जा रही थी। हम इसी बोगी में कुछ आगे बढ़ें, जहां हमें इसी विषय पर बात करते हुए कुछ रेलकर्मी दिखे, जोकि जमालपुर कारखाना में अपनी ड्यूटी पूरी कर वापस घर लौट रहे थे। बीसी मंडल और सीबी पासवान ने कहा कि मीडिया के माध्यम से ही उन्हें जानकारी मिली है, लेकिन यूनिट ने सूचना नहीं दी है। बिना वैकल्पिक व्यवस्था दिए ट्रेन बंद की जा रही है। इससे हमारे साथ-साथ यात्रियों में भी निराशा है।
ट्रेन खैरा गुमटी पर रुकी। दोनों श्रमिक उतर चुके थे। उरैन निवासी रेलकर्मी वीरेंद्र यादव ने अपने यूनियन से प्राप्त जानकारी के आधार पर बताया कि इस रूट में 171 टोकनधारी श्रमिक बच गए हैं, जबकि शेष अधिकतर श्रमिक टीए(ट्रेवलिंग एलाउंस) उठाते हैं। इस कारण रेलवे को अब ट्रेन अतिरिक्त खर्च लग रहा है। कहा कि रेलवे सवारी ट्रेन ही चलाए, रेलकर्मी एमएसटी यानि कि मासिक पास पर चलेंगे। बातों-बातों में ट्रेन उरैन से धनौरी पहुंच चुकी थी। श्री यादव संग हम भी उतर चुके थे। शाम के 06:22 बजे ट्रेन जमालपुर के लिए खुली, कभी वापस न लौटने के लिए।

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